Monday 24 December 2012

Rubaiyat-E-Jumi 01



हटा दिया हर इक महरम, यूँ हमें सरे बाम रख दिया किसने
साकी हो गया खुदा क्योंकर, खुशी का जाम रख दिया किसने
या खुदा इश्क़ है जब हर सलूक-ए-इबादत में गालिबो यक़्ता
दर्द-ओ-इंतेजार का जश्न है, मुहब्बत नाम रख दिया किसने

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