कैसी है बेख़बरी, किस खलजान मेम है
अपनी तलवार जब अपने म्यान में है।
अपनी तलवार जब अपने म्यान में है।
वो जो खुरूँचते हैं माँग का सिंदूर यहाँ
उन्हीं का बोल-बाला सारे जहान में है।
उन्हीं का बोल-बाला सारे जहान में है।
जमाना हो चला है आज मेरा दुश्मन
न जाने कैसा ख़ार मेरी जबान में है।
न जाने कैसा ख़ार मेरी जबान में है।
ढ़ँढ़ने वालों को दुनिया भी नयी मिलती है,
जो हाशिल करो इल्म तो लौहे-क़लम कयाम में है।
जो हाशिल करो इल्म तो लौहे-क़लम कयाम में है।
हम नहीं हैं फ़कत हाँड़-माँस के पुतले दोस्तों
तू गौर से देख ज़रा हर्फ़-ब-हर्फ़ खुदाई इंसान में हैं।
तू गौर से देख ज़रा हर्फ़-ब-हर्फ़ खुदाई इंसान में हैं।
तल्खियाँ सब उल्फ़त में बदल जायेंगी,
गर शौक-ए-गुफ़्तगू हमारे दरम्यान में है।
गर शौक-ए-गुफ़्तगू हमारे दरम्यान में है।
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